काश हम इतने अलग ना होते
यु ही तुम को बीच राह में ना खोते
यु ही तुम को बीच राह में ना खोते
चलना तो चाहा था बहुत दूर साथ
पर यु हम थक कर ना सोते ।
बेवजाह दूरिया और दूर ले गयी
अरसे भर की तमन्ना भी इंतज़ार से रो गयी
ढूँढा तो बहुत था उनको हर चोराहे पर
पर शायद निराश नन्ही ख्वाहिशे भी खो गयी ।
सब कुछ पाना कब जरूरी है
पर ज़िद की ऐसी क्या मजबूरी है
और अब तो खो गए है हम भी
किस्मत की शायद यही मंजूरी हैं ।