कतरा कतरा यू ही वक़्त गुजर जाएगा
बीता हर एक पल याद आएगा
चला था जिन रहो पर बदहवास
वो हर कदम स्मृति को विकल कर जाएगा|
विषैले काँटे भी थे खूब रहो पर
बेजान कंकर पथर भी थे भर कर
बंजारो में बस बेआलमी में दिल लगा लिया
और कई बार गिरा भी थक हार कर|
बहुत हसीं नज़ारे भी मिले
झीलमिल सितारे भी मिले
कोसो फैली तन्हाई में भी
कुछ दूर हमदम प्यारे मिले
पर कुछ दूर तो चले आये है
बहुत हसीं नज़ारे भी मिले
झीलमिल सितारे भी मिले
कोसो फैली तन्हाई में भी
कुछ दूर हमदम प्यारे मिले
पर कुछ दूर तो चले आये है
शायद कुछ ही दूर और जाना है
मीलो चल चुका हूँ बेमानी रहो पर
अब तो बस मंज़िल को पाना है|